स्कॉटलैंड के लोगों ने इंग्लैंड के राजा के विरुद्ध विद्रोह किया। विद्रोह
के विफल हो जाने पर विद्रोहियों को बड़ी निर्दयतापूर्वक दंडित किया गया।
लोगों को कतार में खड़ा कर गोलियों से उड़ा दिया गया। एक बार एक पंद्रह
वर्षीय लड़का भी इसी तरह मारे जाने के लिए कतार में खड़ा किया गया। लेकिन
सेनापति को उस पर दया आ गई। उसने कहा, बच्चे, यदि तुम क्षमा मांग लो, तो
अभी हम तुम्हें मृत्युदंड से बचा लेंगे।
लड़के ने क्षमा मांगने से इन्कार कर दिया। इस पर सेनापति ने लड़के से कहा, मैं तुम्हें चौबीस घंटे की मोहलत देता हूं। तुम्हारा कोई प्रियजन हो, तो जाकर उनसे मिल आओ। वह लड़का अपनी अकेली मां से मिलने घर चला गया। घर पहुंचकर उसने देखा कि उसकी मां बेहोश पड़ी है। मां को होश में लाने के बाद उसने कहा, मां, देख मैं आ गया हूं। अपने इकलौते बेटे का मुंह देखकर और यह सोचकर, कि उसके पुत्र की जान बच गई है, मां को अपार हर्ष हुआ।
उसने बालक को गोद में बिठाकर उसे जी भरकर प्यार किया। समय समाप्त होता जानकर बालक फिर जाने की तैयारी करने लगा। उसकी मां ने पूछा, बेटा, कहां जाते हो? बालक की आंखों में आंसू आ गए। अपने हृदय को संभालकर उसने उत्तर दिया, मां मुझे चौबीस घंटे की मोहलत मिली थी, ताकि मैं तुमसे मिल सकूं। अब मृत्युदंड पाने के लिए कैंप की तरफ जा रहा हूं। ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।
मां को कुछ कहने का अवसर दिए बिना ही बालक घर से बाहर निकल गया और ठीक समय पर सेनापति के सामने जाकर खड़ा हो गया। सेनापति को उस बालक के लौटने की आशा न थी। बालक की सच्चाई से सेनापति पर इतना प्रभाव पड़ा कि उसने तत्काल उसकी मुक्ति की आज्ञा जारी कर दी। वस्तुतः सत्य से चरित्र में बल आता है, मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है और कठोर से कठोर हृदय में भी कोमलता और दया का संचार होता है।
लड़के ने क्षमा मांगने से इन्कार कर दिया। इस पर सेनापति ने लड़के से कहा, मैं तुम्हें चौबीस घंटे की मोहलत देता हूं। तुम्हारा कोई प्रियजन हो, तो जाकर उनसे मिल आओ। वह लड़का अपनी अकेली मां से मिलने घर चला गया। घर पहुंचकर उसने देखा कि उसकी मां बेहोश पड़ी है। मां को होश में लाने के बाद उसने कहा, मां, देख मैं आ गया हूं। अपने इकलौते बेटे का मुंह देखकर और यह सोचकर, कि उसके पुत्र की जान बच गई है, मां को अपार हर्ष हुआ।
उसने बालक को गोद में बिठाकर उसे जी भरकर प्यार किया। समय समाप्त होता जानकर बालक फिर जाने की तैयारी करने लगा। उसकी मां ने पूछा, बेटा, कहां जाते हो? बालक की आंखों में आंसू आ गए। अपने हृदय को संभालकर उसने उत्तर दिया, मां मुझे चौबीस घंटे की मोहलत मिली थी, ताकि मैं तुमसे मिल सकूं। अब मृत्युदंड पाने के लिए कैंप की तरफ जा रहा हूं। ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।
मां को कुछ कहने का अवसर दिए बिना ही बालक घर से बाहर निकल गया और ठीक समय पर सेनापति के सामने जाकर खड़ा हो गया। सेनापति को उस बालक के लौटने की आशा न थी। बालक की सच्चाई से सेनापति पर इतना प्रभाव पड़ा कि उसने तत्काल उसकी मुक्ति की आज्ञा जारी कर दी। वस्तुतः सत्य से चरित्र में बल आता है, मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है और कठोर से कठोर हृदय में भी कोमलता और दया का संचार होता है।
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