कहते हैं कि जिस दिन जीव का जन्म होता है यमराज उसी दिन से उसके
पीछे लगे रहते हैं और जैसे ही मौत का समय आता है उसे अपने साथ लेकर इस
दुनिया से चले जाते हैं। इसलिए जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु
निश्चित है। लेकिन मृत्यु के बाद का सफर कैसा होगा इस बात को लेकर
दुनिया भर में कई मान्यताएं हैं।
इन्हीं मान्यताओं में मृत्यु के समय होने वाली कुछ क्रियाएं भी शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर हिन्दूओं में मृत्यु के समय मरने वाले व्यक्ति के मुंह में तुलसी और गंगाजल डाला जाता है। कुछ स्थानों पर मुंह में सोना भी रखते हैं। इसी तरह मुसलमान मरने वाले व्यक्ति के मुंह में आबे-जमजम रखते हैं। आइये जानें कि इसके पीछे क्या कारण है।
इन्हीं मान्यताओं में मृत्यु के समय होने वाली कुछ क्रियाएं भी शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर हिन्दूओं में मृत्यु के समय मरने वाले व्यक्ति के मुंह में तुलसी और गंगाजल डाला जाता है। कुछ स्थानों पर मुंह में सोना भी रखते हैं। इसी तरह मुसलमान मरने वाले व्यक्ति के मुंह में आबे-जमजम रखते हैं। आइये जानें कि इसके पीछे क्या कारण है।
गंगाजल
हिन्दू
धर्म में जल को शुद्धि करने वाला माना गया है। इसलिए पूजा-पाठ हो या कोई
भी अनुष्ठान सबसे पहले जल से पूजन सामग्री और पूजा करने वाले को शुद्ध
किया जाता है। स्नान भी इसी का हिस्सा है। लेकिन जल में गंगा नदी के जल
को सबसे पवित्र माना जाता है। कारण यह है कि गंगा को स्वर्ग की नदी कहा
गया है।
गंगा नदी के विषय में पुराणों में बताया गया है कि यह भगवान
विष्णु के चरण से निकली है और शिव की जट में इनका वास है। इसलिए
मृत्यु के समय मुंह में गंगा जल रखने से शरीर से आत्मा निकलते समय अधिक
कष्ट नहीं होता है। यह भी मान्यता है कि मुंह में गंगा जल होने से यमदूत
नहीं सताते हैं और जीव के आगे का सफर असान हो जाता है।
व्यवहारिक तौर पर देखा जाए तो मृत्यु के समय मुंह में जल डालने का
उद्देश्य यह भी है कि शरीर छोड़कर जा रहा व्यक्ति प्यासा नही जाए। इसकी
एक झलक आप आम जिंदगी में देख सकते हैं कि जब कोई व्यक्ति लंबी यात्रा पर
जा रहा होता है तो बड़े बुजुर्ग उन्हें पानी जरूर पिलाते हैं। ससुराल से
कन्या की विदाई के समय भी उन्हें पानी पिलाया जाता है। यानी मरने वाले
को जल पिलाने का धार्मिक ही नहीं व्यवहारिक कारण भी है।
तुलसी पत्ता
मृत्यु के समय गंगा जल के साथ एक और चीज मुह में रखी जाती है वह है तुलसी पत्ता। धार्मिक दृष्टि से तुलसी का बड़ा ही महत्व है। कहते हैं तुलसी हमेशा श्री विष्णु के सिर पर सजती है। तुलसी धारण करने वाले को यमराज कष्ट नहीं देते। मृत्यु के बाद परलोक में व्यक्ति को यमदंड का सामना नहीं करना पड़े इसलिए मरते समय मुंह में तुलसी का पत्ता रखा जाता है। धार्मिक दृष्टि के अलावा इसका वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारण भी है।
मृत्यु के समय गंगा जल के साथ एक और चीज मुह में रखी जाती है वह है तुलसी पत्ता। धार्मिक दृष्टि से तुलसी का बड़ा ही महत्व है। कहते हैं तुलसी हमेशा श्री विष्णु के सिर पर सजती है। तुलसी धारण करने वाले को यमराज कष्ट नहीं देते। मृत्यु के बाद परलोक में व्यक्ति को यमदंड का सामना नहीं करना पड़े इसलिए मरते समय मुंह में तुलसी का पत्ता रखा जाता है। धार्मिक दृष्टि के अलावा इसका वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारण भी है।
दरअसल तुलसी एक औषधि है जो कई रोगों में कारगर होता है। मृत्यु के
समय तुलसी पत्ता मुंह में होने से प्राण त्यागने के समय होने वाले कष्ट से
राहत मिलती है क्योंकि यह सात्विक भाव जगाता है। व्यवहारिक दृष्टि से
बात करें तो तुलसी मुंह में रखने का उद्देश्य यह हो सकता है कि जाने वाला
कुछ खाकर गया है। लोक मान्यता के अनुसार घर से कभी भी बिना खाए हुए यात्रा
नहीं करनी चाहिए।
यह है मक्का स्थित एक पवित्र कुआं इसी से जमजम का पानी आता है।
कहते हैं इस कुएं का पानी गंगाजल की तरह पवित्र और दोष रहित है। जिस तरह
गंगा जल कभी खराब नहीं होता है उसी तरह जमजम का पानी भी हमेशा पाक रहता
है। इस्लाम को मानने वाले जमजम के पानी को गंगाजल की तरह पवित्र मानते हैं
इसलिए मृत्यु करीब आने पर मुंह में जमजम का पानी डालते हैं।
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