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अकबर के दरबार में पाँच मूर्ख - Joke

अकबर और बीरबल सभा मे बैठ कर आपस में बात कर रहे थे। अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ। बादशाह का हुक्म सुन बीरबल ने खोज शुरू की।


एक महीने बाद बीरबल वापस आये लेकिन सिर्फ 2 लोगों के साथ।

अकबर: मैने तो 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था।

बीरबल: जी हुजुर लाया हूँ, मुझे पेश करने का मौका दिया जाये।

अकबर: ठीक है।

बीरबल: हुजुर यह पहला मूर्ख है। मैने इसे बैलगाडी पर बैठ कर भी बैग सिर पर ढोते हुए देखा और पूछने पर जवाब मिला कि कहीं बैल के उपर ज्यादा भार ना हो जाए, इसलिये बैग सिर पर ढो रहा हूँ। इस हिसाब से यह पहला मूर्ख है।

दूसरा मूर्ख यह आदमी है जो आप के सामने खडा है। मैने देखा इसके घर के ऊपर छत पर घास निकली थी। अपनी भैंस को छत पर ले जाकर घास खिला रहा था। मैने देखा और पूछा तो जवाब मिला कि घास छत पर जम जाती है तो भैंस को ऊपर ले जाकर घास खिला देता हूँ। हुजुर, जो आदमी अपने घर की छत पर जमी घास को काटकर फेंक नहीं सकता और भैंस को उस छत पर ले जाकर घास खिलाता है, तो उससे बडा मूर्ख और कौन हो सकता है।

अकबर: और तीसरा मूर्ख?

बीरबल: जहाँपनाह अपने राज्य मे इतना काम है। पूरी नीति मुझे संभालनी है, फिर भी मैं मूर्खों को ढूढने में एक महीना बर्बाद कर रहा हूॅ इसलिये तीसरा मूर्ख मै ही हूँ।

अकबर: और चौथा मूर्ख?

बीरबल: जहाँपनाह पूरे राज्य की जिम्मेदारी आप के ऊपर है। दिमाग वालों से ही सारा काम होने वाला है। मूर्खों से कुछ होने वाला नहीं है, फिर भी आप मूर्खों को ढूंढ रहे हैं। इस लिए चौथे मूर्ख जहाँपनाह आप हुए।

अकबर: और पांचवा मूर्ख?

बीरबल: जहाँ पनाह मैं बताना चाहता हूँ कि दुनिया भर के काम धाम को छोड़कर, घर परिवार को छोड़कर, पढाई लिखाई पर ध्यान ना देकर, यहाँ पूरा ध्यान लगा कर और पाँचवें मूर्ख को जानने के लिए जो इसे पढ़ रहा है वही पाँचवा मूर्ख है। इससे बडा मूर्ख दुनिया में कोई नहीं।