घर में 'नया मेहमान' आने वाला है, ऐसी बातें सुनते ही घर और आसपास के
लोगों के चेहरे पर भी उत्साह से भरी मुस्कराहट बिखर जाती है। निश्चित तौर
पर प्रेग्नेंसी का समय किसी भी महिला के जीवन के सबसे सुखद पलों में से एक
होता है। लेकिन स्वस्थ प्रेग्नेंसी के लिये सतर्क रहना बेहद जरूरी है।
इसलिये प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में सतर्क रहना बेहद जरूरी है। जरा सी लापरवाही बहुत बड़े नुकसान की वजह बन सकती है। इसके परिणामस्वरूप प्री-टर्म डिलीवरी की आशंका बढ़ जाती है।
प्री-मैच्योर डिलीवरी (समयपूर्व प्रसूति) के कुछ प्रमुख कारणः
देरी से गर्भधारणः कई प्रकार के तेजी से होते हार्मोन संबंधी शारीरिक परिवर्तनों के कारण यह प्री-मैच्योर डिलीवरी का सबसे आम कारण होता है।
शिफ्ट्स में काम करनाः बार-बार बदलता शेड्यूल भी प्री-मैच्योर डिलीवरी का कारण होता है क्योंकि इससे जैविक चक्र में परिवर्तन होता है।
एल्कोहलः शराब आदि के एल्कोहल युक्त पदार्थों का सेवन करने से यह नाल तक पहुंच जाती है, जिससे समय से पहले प्रसूति का खतरा बढ़ जाता है। यह बच्चे के अंगों को प्रभावित करता है।
जंक फूडः आवश्यक पोषक तत्वों की कमी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से प्रेग्नेंसी में जटिलताएं बढ़ जाती है, जिससे प्री-मैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।
तनावः प्रेग्नेंट महिलाओं के ज्यादा तनावग्रस्त रहने से भी प्री-मैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। इससे बच्चों के कम वजन के साथ जन्म लेने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
इसलिये प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में सतर्क रहना बेहद जरूरी है। जरा सी लापरवाही बहुत बड़े नुकसान की वजह बन सकती है। इसके परिणामस्वरूप प्री-टर्म डिलीवरी की आशंका बढ़ जाती है।
प्री-मैच्योर डिलीवरी (समयपूर्व प्रसूति) के कुछ प्रमुख कारणः
देरी से गर्भधारणः कई प्रकार के तेजी से होते हार्मोन संबंधी शारीरिक परिवर्तनों के कारण यह प्री-मैच्योर डिलीवरी का सबसे आम कारण होता है।
शिफ्ट्स में काम करनाः बार-बार बदलता शेड्यूल भी प्री-मैच्योर डिलीवरी का कारण होता है क्योंकि इससे जैविक चक्र में परिवर्तन होता है।
एल्कोहलः शराब आदि के एल्कोहल युक्त पदार्थों का सेवन करने से यह नाल तक पहुंच जाती है, जिससे समय से पहले प्रसूति का खतरा बढ़ जाता है। यह बच्चे के अंगों को प्रभावित करता है।
जंक फूडः आवश्यक पोषक तत्वों की कमी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से प्रेग्नेंसी में जटिलताएं बढ़ जाती है, जिससे प्री-मैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।
तनावः प्रेग्नेंट महिलाओं के ज्यादा तनावग्रस्त रहने से भी प्री-मैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। इससे बच्चों के कम वजन के साथ जन्म लेने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
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